"यह विवाद का तीसरा दिन था। मग्घे की लाश पड़ी थी। मृत्यु यकीनन आज ही हुई थी, मगर कल से ही उसे लोग मुर्दा घोषित कर चुके थे। घर में कलह और पंवारा चरम पर था। मीरावती को कुछ औरतें खींच-खींचकर घर से बाहर कर दिया करती थीं, मगर थोड़ी देर बाद वह रोते-सुबकते घर में दाखित हो जाती और फिर पति की लाश से चिपककर दहाड़ें मार कर रोती थी। वैसे भी वो घर कहाँ था, बस एक छप्पर जो दोनों तरफ से खुला था।
"यह विवाद का तीसरा दिन था। मग्घे की लाश पड़ी थी। मृत्यु यकीनन आज ही हुई थी, मगर कल से ही उसे लोग मुर्दा घोषित कर चुके थे। घर में कलह और पंवारा चरम पर था। मीरावती को कुछ औरतें खींच-खींचकर घर से बाहर कर दिया करती थीं, मगर थोड़ी देर बाद वह रोते-सुबकते घर में दाखित हो जाती और फिर पति की लाश से चिपककर दहाड़ें मार कर रोती थी। वैसे भी वो घर कहाँ था, बस एक छप्पर जो दोनों तरफ से खुला था।